रहस्य- रसवन्ती -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar
रहस्य- रसवन्ती -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar तुम समझोगे बात हमारी? उडु-पुंजों के कुंज सघन में, भूल गया मैं पन्थ गगन में, जगे-जगे, आकुल पलकों में बीत गई कल रात हमारी। अस्तोदधि की अरुण लहर में, पूरब-ओर कनक-प्रान्तर में, रँग-सी रही पंख उड़-उड़कर तृष्णा सायं-प्रात हमारी। सुख-दुख में डुबकी-सी …