रहनी सदा इकंत को, पुनि भजनो भगवंत-ज्ञान-वैराग्य कुण्डलियाँ-गिरिधर कविराय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Giridhar Kavirai 

रहनी सदा इकंत को, पुनि भजनो भगवंत-ज्ञान-वैराग्य कुण्डलियाँ-गिरिधर कविराय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Giridhar Kavirai रहनी सदा इकंत को, पुनि भजनो भगवंत । कथन श्रवण अद्वैत को, यही मतो है संत ॥ यही मतो है संत, सत्य को चिंतन करनो । प्रत्यक ब्रह्म अभिन्न, सदा उर अंतर धरनो॥ कह गिरिधर कविराय, वचन …

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