रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan

रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 5 सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 4 सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 3 सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 2 सुजान रसखान -रसखान -Hindi …

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सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 5

सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan  Part 5 सवैया बाँकी मरोर गटी भृकुटीन लगीं बाँकी मरोर गटी भृकुटीन लगीं अँखियाँ तिरछानि तिया की। क सी लाँक भई रसखानि सुदामिनी तें दुति दूनी हिमा की। सोहैं तरंग अनंग को अंगनि ओप उरोज उठी छलिया की। जोबनि जोति सु यौं दमकै उकसाइ दइ मनो …

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सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 4

सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 4  दोहा स्‍याम सघन घन घेरि कै, स्‍याम सघन घन घेरि कै, रस बरस्‍यौ रसखानि। भई दिवानी पानि करि, प्रेम-मद्य मन मानि।।151।। सवैया कोउ रिझावन कौ रसखानि कोउ रिझावन कौ रसखानि कहै मुकतानि सौं माँग भरौंगी। कोऊ कहै गहनो अंग-अंग दुकूल सुगंध पर्यौ पहिरौंगी। तूँ …

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सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 3

सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 3 सवैया आज महूं दधि बेचन जात ही आज महूं दधि बेचन जात ही मोहन रोकि लियौ मग आयौ। माँगत दान में आन लियौ सु कियो निलजी रस जोवन खायौ।। काह कहूँ सिगरी री बिथा रसखानि लियौ हँसि के मुसकायौ। पाले परी मैं अकेली लली, …

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सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 2

सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 2  दोहा मोहन छबि रसखानि लखि, मोहन छबि रसखानि लखि, अब दृग अपने नाहिं। ऐंचे आवत धनुष से, छूटे सर से जाहिं।।51।।  दोहा या छबि पै रसखानि या छबि पै रसखानि अब वारौं कोटि मनोज। जाकी उपमा कविन नहिं रहे सु खोज।।52।।  कवित्‍त कदम करीर …

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सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 1

सुजान रसखान -रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 1 सवैया-मानुस हौं तो वही रसखान, मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर कारन। जो खग हौं …

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प्रेम वाटिका-(दोहे)रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 2

प्रेम वाटिका-(दोहे)रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 2 सिर काटो छेदो हियो, टूक टूक हरि देहु। पै याके बदले बिहँसि, वाह वाह ही लेहु।।32।। अकथ कहानी प्रेम की, जानत लैली खूब। दो तनहूँ जहँ एक ये, मन मिलाइ महबूब।।33।। दो मन इक होते सुन्‍यौ, पै वह प्रेम न आहि। हौइ जबै द्वै तनहुँ …

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प्रेम वाटिका-(दोहे)रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan Part 1

प्रेम वाटिका-(दोहे)रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan प्रेम-अयनि श्रीराधिका, प्रेम-बरन नँदनंद। प्रेमवाटिका के दोऊ, माली मालिन द्वंद्व।।1।। प्रेम-प्रेम सब कोउ कहत, प्रेम न जानत कोय। जो जन जानै प्रेम तो, मरै जगत क्‍यौं रोय।।2।। प्रेम अगम अनुपम अमित, सागर सरिस बखान। जो आवत एहि ढिग, बहुरि, जात नाहिं रसखान।।3।। प्रेम-बारुनी छानिकै, बरुन भए जलधीस। …

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