कनकौए और पतंग (निर्जला)-मेले खेल तमाशे -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
कनकौए और पतंग (निर्जला)-मेले खेल तमाशे -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi यां जिन दिनों में होता है आना पतंग का। ठहरे हैं हर मकां में बनाना पतंग का। होता है कसरतों से मांगना पतंग का। करता है शाद दिल को उड़ाना पतंग का। क्या! क्या! कहूं मैं शोर मचाना …