मन के घाव नये न ये तेवरी-रमेशराज -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshraj Man Ke Ghav Naye Na Yeh Part 1
मन के घाव नये न ये तेवरी-रमेशराज -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshraj Man Ke Ghav Naye Na Yeh Part 1 सदा न मिलती हार, सदा न रहते द्वन्द्व यूँ ऐसे घुटना टेक ना, ऐसे घुट ना यार। 1 काल न देखे काल, भाल न देखे भाल को भीमकाय तू है भले मत गरूर कर …