मुरली निर्माण -आद्यन्त -धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati
मुरली निर्माण -आद्यन्त -धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati गड़ने दो यदि फाँसें गड़ी हैं उँगलियों में: मुरली बनाने का यह है अनिवार्य क्रम! फिर इन्हीं उँगलियों के मादक स्पर्शों से बाजेगी मुरली फिर अपने अनियारे स्वर नहीं, नहीं, वृथा नहीं गया यह सारा श्रम!