किस्सा लैला मजनूँ-कविता-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

किस्सा लैला मजनूँ-कविता-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi पहले तो हम्द ख़ालिके़ अर्जो समां लिखूं। बाद उसके फिर मैं नाते शहे अम्बिया लिखूं॥ गर उम्र भर मैं इसको लिखूं तो भी क्या लिखूं। बेइन्तिहां है वह तो ग़रज, ताकुजा लिखूं॥ लाज़िम है इसमें तबा को इज्ज़इन्तिमा लिखूं। कुछ वस्फ़ हुस्न …

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