सोजें-पिनहाँ हो, चश्मे-पुरनम हो-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
सोजें-पिनहाँ हो, चश्मे-पुरनम हो-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri सोज़े-पिनहाँ हो,चश्मे-पुरनम हो दिल में अच्छा-बुरा कोई ग़म हो फिर से तरतीब दें ज़माने को ऐ ग़में ज़िन्दगी मुनज़्ज़म हो इन्किलाब आ ही जाएगा इक रोज़ और नज़्में-हयात बरहम हो ताड़ लेते हैं हम इशारा-ए-चश्म और मुबहम हो, और मुबहम …