शहरे आशोब-कविता-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

शहरे आशोब-कविता-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi अब तो कुछ सुख़न का मेरे कारोबार बंद । रहती है तबअ सोच में लैलो निहार बंद । दरिया सुख़न की फ़िक्र का है मौज दार बंद । हो किस तरह न मुंह में जुबां बार बार बंद । जब आगरे की ख़ल्क़ …

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श्रीकृष्ण व नरसी मेहता-कविता श्री कृष्ण पर -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi 

श्रीकृष्ण व नरसी मेहता-कविता श्री कृष्ण पर -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi दुनियां के शहरों में मियां, जिस जिस जगह बाज़ार हैं। किस किस तरह के हैं हुनर, किस किस तरह के कार हैं॥ कितने इसी बाज़ार में, ज़र के ही पेशेवार हैं। बैठें हैं कर कर कोठियां, ज़र …

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आगरे की तैराकी-मेले खेल तमाशे -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

आगरे की तैराकी-मेले खेल तमाशे -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi जब पैरने की रुत में दिलदार पैरते हैं। आशिक़ भी साथ उनके ग़मख़्वार पैरते हैं। भोले सियाने, नादां, हुशियार पैरते हैं। पीरो जबां, व लड़के, अय्यार पैरते हैं। अदना ग़रीबो-मुफ़्लिस, ज़रदार पैरते हैं। इस आगरे में क्या-क्या ऐ यार …

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आटे-दाल का भाव-1-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

आटे-दाल का भाव-1-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi क्या कहूँ नक़्शा मैं यारों! ख़ल्क़ के अहवाल का। अहले दौलत का चलन, या मुफ़्लिसो-कंगाल का॥ यह बयां तो वाक़ई है, हर किसी के हाल का। क्या तबंगर, क्या ग़नी, क्या पीर और क्या बालका॥ सबके दिल को फ़िक्र है …

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कौड़ी-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

कौड़ी-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi कौड़ी है जिनके पास वह अहले-यकीन हैं। खाने को उनके नेमतें, सो बेहतरीन हैं॥ कपड़े भी उनके तन में, निहायत महीन हैं। समझें हैं उनको वह जो बड़े नुक्ता चीन हैं॥ कौड़ी के सब जहान में, नक़्शों नगीन हैं। कौड़ी न हो …

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मौत-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

मौत-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi हर एक को मौत का मज़ा चखना है दुनियां में अपना जी कोई बहला के मर गया। दिल तंगियों से और, कोई उकता के मर गया। आक़िल था वह तो, आपको समझा के मर गया। बेअक़्ल छाती पीट के, घबरा के मर …

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फ़ना (मौत)-1-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

फ़ना (मौत)-1-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi दुनियां में कोई शाद कोई दर्दनाक है। या खु़श है, या अलम के सबब सीना चाक है। हर एक दम से जान का, हर दम तपाक है। नापाक तन पलीद, नजिस या कि पाक है। जो ख़ाक से बना है, वह …

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