कितना खुद को मैं तुमसे छिपाता रहूंगा-कविता-मुनीश जस्सल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munish Jassal

कितना खुद को मैं तुमसे छिपाता रहूंगा-कविता-मुनीश जस्सल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munish Jassal कितना खुद को मैं तुमसे छिपाता रहूंगा । कब तलक तेरे साथ लुकाछुपी खेलता रहूँगा । तू भी तो बाहर तन्हा भटक रही है । सफेद धुंए के छल्लों में खूब मटक रही है । तू भी कहाँ हर दिन …

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 ये बातें जो तेरी मेरी हो रही हैं-कविता-मुनीश जस्सल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munish Jassal

ये बातें जो तेरी मेरी हो रही हैं-कविता-मुनीश जस्सल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munish Jassal ये बातें जो तेरी मेरी हो रही हैं, ये बातें कभी खत्म न हो। जैसे हमारे बीच मचलती हवा बह रही है ये हवा का बहना कभी खत्म न हो। ये बातें जो तेरी मेरी हो रही हैं ये …

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तो क्या हुआ, वो एक ख़्वाब ही तो था-कविता-मुनीश जस्सल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munish Jassal

तो क्या हुआ, वो एक ख़्वाब ही तो था-कविता-मुनीश जस्सल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munish Jassal तो क्या हुआ, वो एक ख़्वाब ही तो था अच्छा था या बुरा, क्या फर्क पड़ता है। वो नींद में ही तो आया था, आंख खुलते ही कहीं चला गया। जब आया था तो एक हाथ में कुछ …

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