मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana

मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana मुनव्वरनामा-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Munnawarnama part 2 मुनव्वरनामा-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Munnawarnama part 1 ग़ज़ल गाँव -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazal Gaon part 2 ग़ज़ल गाँव -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem …

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मुनव्वरनामा-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Munnawarnama part 2

मुनव्वरनामा-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Munnawarnama part 2 गिड़गिड़ाए नहीं, हाँ हम्दो सना से माँगी गिड़गिड़ाए नहीं, हाँ हम्दो सना से माँगी भीख भी हमने जो माँगी तो ख़ुदा से माँगी हाथ बाँधे रहे, पलकों को झुकाए रक्‍खा दाद भी हमने जो माँगी तो हया से माँगी ये भी उड़ जाये …

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मुनव्वरनामा-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Munnawarnama part 1

मुनव्वरनामा-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Munnawarnama part 1 ऐसे उड़ूँ कि जाल न आए ख़ुदा करे ऐसे उड़ूँ कि जाल न आए ख़ुदा करे रस्ते में अस्पताल न आए ख़ुदा करे ये मादरे वतन है, मेरा मादरे वतन इस पर कभी ज़वाल न आए ख़ुदा करे अब उससे दोस्ती है तो …

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ग़ज़ल गाँव -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazal Gaon part 2

ग़ज़ल गाँव -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazal Gaon part 2 जो उसने लिक्खे थे ख़त कापियों में छोड़ आये जो उसने लिक्खे थे ख़त कापियों में छोड़ आये हम आज उसको बड़ी उलझनों में छोड़ आये अगर हरीफ़ों में होता तो बच भी सकता था ग़लत किया जो उसे दोस्तों …

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ग़ज़ल गाँव -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazal Gaon part 1

ग़ज़ल गाँव -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazal Gaon part 1 जगमगाते हुए शहरों को तबाही देगा जगमगाते हुए शहरों को तबाही देगा और क्या मुल्क को मग़रूर सिपाही देगा पेड़ उम्मीदों का ये सोच के काटा न कभी फल न आ पायेंगे इसमें तो हवा ही देगा तुमने ख़ुद ज़ुल्म …

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पीपल छाँव-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Peepal Chhanv part 2

पीपल छाँव-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Peepal Chhanv part 2 वो ग़ज़ल पढने में लगता भी ग़ज़ल जैसा था वो ग़ज़ल पढने में लगता भी ग़ज़ल जैसा था सिर्फ़ गज़लें नहीं, लहजा भी गज़ल जैसा था वक़्त ने चेहरे को बख्शी हैं ख़राशें वरना कुछ दिनों पहले ये चेहरा भी ग़ज़ल …

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पीपल छाँव-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Peepal Chhanv part 1

पीपल छाँव-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Peepal Chhanv part 1 तू हर परिन्दे को छत पर उतार लेता है तू हर परिन्दे को छत पर उतार लेता है ये शौक़ वो है जो ज़ेवर उतार लेता है मैं आसमां की बुलन्दी पे बारहा पहुंचा मगर नसीब ज़मीं पर उतार लेता है …

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शहदाबा -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Shahdaba Part 1

शहदाबा -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Shahdaba Part 1 आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया मैंने दिये को आँधी की मर्ज़ी पे रख दिया अहबाब का सुलूक भी कितना अजीब था नहला धुला के मिट्टी को मिट्टी पे रख दिया आओ …

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शहदाबा -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Shahdaba Part 2

शहदाबा -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Shahdaba Part 2 अच्छा हुआ कि मेरा नशा भी उतर गया अच्छा हुआ कि मेरा नशा भी उतर गया तेरी कलाई से ये कड़ा भी उतर गया वो मुतमइन बहुत है मिरा साथ छोड़ कर मैं भी हूँ ख़ुश कि क़र्ज़ मिरा भी उतर गया …

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ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 4

ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 4 अलमारी से ख़त उस के पुराने निकल आए अलमारी से ख़त उस के पुराने निकल आए फिर से मिरे चेहरे पे ये दाने निकल आए माँ बैठ के तकती थी जहाँ से मिरा रस्ता मिट्टी के हटाते ही ख़ज़ाने निकल आए मुमकिन …

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