मुझको तुम मजदूर रख लो- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

मुझको तुम मजदूर रख लो- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri प्यार से इक बार देखो ये जहाँ रुक जाएगा नाच उठेगी जमीं और आसमां झुक जाएगा ना गिराओ इस कदर आँखों से अपनी बर्क़ भी इस समंदर का कलेजा आँच से फूँक जाएगा ऐ हसीना बाज़ …

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