मुझको आवारा कहता है-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi
मुझको आवारा कहता है-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi जब से इस दुःखिया बस्ती की पीड़ा मैंने गले लगाई- तब से यह बेरहम ज़माना, मुझको आवारा कहता है।। बन्दनवार बँधे द्वारों से, जब देखीं लौटी बारातें। हल्दी चढ़ी किसी दुलहिन के साथ भीगती रोती रातें।। जब मण्डप के मूक …