बन्दगी से कभी नहीं मिलती-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
बन्दगी से कभी नहीं मिलती-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri बन्दगी से कभी नहीं मिलती इस तरह ज़िन्दगी नहीं मिलती। लेने से ताज़ो-तख़्त मिलता है मागे से भीख भी नहीं मिलती। ग़ैबदां है मगर ख़ुदा को भी नीयते-आदमी नहीं मिलती। वो जो इक चीज दारे-फ़ानी में वो तो जन्नत में …