मुक्तक -कुमार विश्वास-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kumar Vishwas 5
मुक्तक -कुमार विश्वास-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kumar Vishwas 5 कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाए मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ …