मुकुल -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 5
मुकुल -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 5 चिंता लगे आने, हृदय धन से कहा मैंने कि मत आओ। कहीं हो प्रेम में पागल न पथ में ही मचल जाओ। कठिन है मार्ग, मुझको मंजिलें वे पार करनीं हैं। उमंगों की तरंगें बढ़ पड़ें शायद फिसल जाओ। तुम्हें कुछ …