मीर तक़ी मीर-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh
मीर तक़ी मीर-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh शमए-आख़ीर-शब हूं सुन सरगुज़शत मेरी फिर सुबह होने तक तो किस्सा ही मुख़तसर है ————- Full ऐ हुबे-जाह वालो जो आज ताजवर है कल उसको देखीयो तुम न ताज है न सर है अब के हवा-ए-गुल में सेराबी है निहायत जू-ए-चमन पे सबज़ा मिज़गाने-चशमेतर …