दुनियाँ के मरातिब क़ाबिले ऐतबार नहीं-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

दुनियाँ के मरातिब क़ाबिले ऐतबार नहीं-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi गर शाह सर पे रखकर अफ़सर हुआ, तो फिर क्या? और बहरे सल्तनत का गौहर हुआ, तो फिर क्या? माहीये, इल्म, मरातिव, पुर ज़र हुआ, तो फिर क्या? नौबत, निशां, नक़ारा, दर पर हुआ तो फिर क्या? …

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