मिल शैख़ को ऐ सिंह -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,
मिल शैख़ को ऐ सिंह -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , मिल शैख़ को ऐ सिंह तू मर्दाना समझ कर । वाहगुरू की शम्हा का परवाना समझ कर । कर तौफ़-ए-हरम भी दर-ए-जानाना समझ कर । कांसी में भी राम का काशाना समझ कर …