मिरा इख़्लास भी इक वज्ह-ए-दिल-आज़ारी है -ग़ज़ल-अब्दुल हमीद अदम-Abdul Hameed Adam-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

मिरा इख़्लास भी इक वज्ह-ए-दिल-आज़ारी है -ग़ज़ल-अब्दुल हमीद अदम-Abdul Hameed Adam-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, मिरा इख़्लास भी इक वज्ह-ए-दिल-आज़ारी है बंदा-परवर मुझे एहसास-ए-गुनहगारी है आप अज़िय्यत का बनाते हैं जो ख़ूगर मुझ को इस से बेहतर भला क्या सूरत-ए-ग़म-ख़्वारी है महज़ तस्कीन-बरआरी के बहाने हैं सब मैं तो कहता हूँ मोहब्बत …

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