हुस्न-मरहूने-जोशे-बादः-ए-नाज़-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz
हुस्न-मरहूने-जोशे-बादः-ए-नाज़-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz हुस्न-मरहूने-जोशे-बादः-ए-नाज़ इश्क़ मिन्नतकशे-फ़ुसूने-नियाज़ दिल का हर तार लरज़िशे-पैहम जाँ का हर रिश्तः वक़्फ़े-सोज़ो-गुदाज़ सोज़िशे-दर्दे-दिल-किसे मालूम कौन जाने किसी के इश्क़ का राज़ मेरी ख़ामोशियों में लरज़ाँ है मेरे नालों की गुमशुदा आवाज़ हो चुका इ’श्क़ अब हवस ही सही क्या करें फ़र्ज़ …