मिथिला- रेणुका-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar
मिथिला- रेणुका-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar मैं पतझड़ की कोयल उदास, बिखरे वैभव की रानी हूँ मैं हरी-भरी हिम-शैल-तटी की विस्मृत स्वप्न-कहानी हूँ। अपनी माँ की मैं वाम भृकुटि, गरिमा की हूँ धूमिल छाया, मैं विकल सांध्य रागिनी करुण, मैं मुरझी सुषमा की माया। मैं क्षीणप्रभा, मैं हत-आभा, सम्प्रति, …