मिट्टी के सितारे-धूप के धान -गिरिजा कुमार माथुर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Girija Kumar Mathur 

मिट्टी के सितारे-धूप के धान -गिरिजा कुमार माथुर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Girija Kumar Mathur कल थे कुछ हम, बन गये आज अनजाने हैं सब द्वार बन्द टूटे सम्बन्ध पुराने हैं हम सोच रहे यह कैसा नया समाज बना जब अपने ही घर में हम हुए बिराने हैं है आधी रात, अर्ध …

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