मालूम न था-डॉ. अमरजीत टांडा-Dr. Amarjit Tanda -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,
मालूम न था-डॉ. अमरजीत टांडा-Dr. Amarjit Tanda -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, मालूम न था कि लोगों की काट दी जाऐंगी जुबानें जरा सा भी सच्च बोलने पर अपने ही घरों में हो जाऐंगे नन्ने से खाब बेघर दूध की इंतजार में बिलकते रह जाऐंगे होंट उनके फासले से बन जाऐंगे दिलों …