मालती-एक यात्रा के दौरान-कोई दूसरा नहीं-कुँवर नारायण-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kunwar Narayan
मालती-एक यात्रा के दौरान-कोई दूसरा नहीं-कुँवर नारायण-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kunwar Narayan कितनी ढिठाई से बढ़ती और कैसा ठठा कर खिलती है मालती वह एक भीनी-सी खुशबू की कड़ी कार्रवाई है पछुवां के निर्मम थपेड़ों के खिलाफ घर की पच्छिम की दीवार को यत्न से घेरे एक अल्हड़ खिलखिलाहट है मालती …