मार्क्सवाद की रोशनी में-हे मेरी तुम -केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal
मार्क्सवाद की रोशनी में-हे मेरी तुम -केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal दोषी हाथ हाथ जो चट्टान को तोडे़ नहीं वह टूट जाये, लोहे को मोड़े नहीं सौ तार को जोड़े नहीं वह टूट जाये।