मान लीला-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji
मान लीला-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji मौहिं छुवौ जनि दूर रहौ जू । जाकौं हृदय लगाइ लयौ है, ताकी वाहँ गहौ जू ॥ तुम सर्वज्ञ और सब मूरख, सो रानी अरु दासी । मैं देखत हिरदय वह बैठी, हम तुमकौ भइँ हाँसी ॥ बाँह गहत कछु सरम …