माना कि हम कलील-शहीदान-ए-वफ़ा-अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

माना कि हम कलील-शहीदान-ए-वफ़ा-अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , माना कि हम कलील मुख़ालिफ़ कसीर हैं । तुम पातशाह हो राजे हो और हम फ़कीर हैं । तुम से हज़ारों बढ़ के हैं हम बे-नज़ीर हैं । अपनी नज़र में माल तुम्हारे हकीर हैं । …

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