मानस-कविता-करन कोविंद -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Karan Kovind

मानस-कविता-करन कोविंद -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Karan Kovind मानस मे एक रोष ठहरता मन पिघल पिघल जाता है। कुटिल- तम कि छाया अकुसित भव-दिगांन्त मे तन्द्रिल मन कुलसित अव्यक्त – भाव कूढ बन जाता है मानस मे एक रोष ठहरता मन पिघल पिघल जाता है अन्तस – भाव मे विचार आकुलित …

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