मानव के अवतार में आ- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

मानव के अवतार में आ- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri देख विधाता पहले जैसा अब तेरा संसार नहीं तेरी प्रभुता आदम को शायद अब स्वीकार नहीं मानवता के मानक हरगिज़ उसको अंगीकार नहीं क्यों पहले जैसा धरती पर लेता तू अवतार नहीं तेरे बनाए पुतले अब …

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