मानवता का पुनर्जन्म-राजकुमार जैन राजन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajkumar Jain Rajan

मानवता का पुनर्जन्म-राजकुमार जैन राजन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajkumar Jain Rajan आत्मा के अंधेरे कोनों में चेतना की लौ कहीं धुंधली हो गई है मंदिर में बज़ते ताल मजीरे के स्वर कुछ पीड़ा देने लगे हैं पत्थर के भगवान भी तो कुछ देखते – सुनते नहीं हमें तो जो रिक्त – तिक्त जीवन …

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