माथे तिलकु हथि माला बानां-शब्द-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji

माथे तिलकु हथि माला बानां-शब्द-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji माथे तिलकु हथि माला बानां ॥ लोगन रामु खिलउना जानां ॥१॥ जउ हउ बउरा तउ राम तोरा ॥ लोगु मरमु कह जानै मोरा ॥१॥ रहाउ ॥ तोरउ न पाती पूजउ न देवा ॥ राम भगति बिनु निहफल सेवा ॥२॥ …

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