मात्र परछाईं हूँ-गीत-अगीत-गोपालदास नीरज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gopal Das Neeraj 

मात्र परछाईं हूँ-गीत-अगीत-गोपालदास नीरज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gopal Das Neeraj अब मैं तुम्हारे लिए व्यक्ति नहीं मात्र परछाईं हूँ जब तुम्हारे माथे पर रात थी, पाँव तले धरती कठोर, और सामने असीम घन-अंधकार, तब मैं तुम्हारे लिए दीप था तुम्हारा क्वाँरी प्रकृति का पुरुष, और तुम्हारी प्रश्नवती आँखों का उत्तर । …

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