माता -माखनलाल चतुर्वेदी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Makahanlal Chaturvedi Mata Part 2

माता -माखनलाल चतुर्वेदी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Makahanlal Chaturvedi Mata Part 2 राष्ट्रीय झंडे की भेंट माँ, रोवो मत, शीघ्र लौट घर आऊँगा, प्रस्थान करूँ बाबा दो आशीष, पताका पर सब कुछ क़ुरबान करूँ। लौटूँगा मैं देवी, हाथ में विजय पताका लाऊंगा। कष्ट-प्रवास, जेल-जीवन की तुमको कथा सुनाऊँगा। दौड़ पड़ो वीरो, माता ने संकट में …

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माता -माखनलाल चतुर्वेदी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Makahanlal Chaturvedi Mata Part 1

माता  -माखनलाल चतुर्वेदी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Makahanlal Chaturvedi Mata Part  1 कोमलतर वन्दीखाना ‘शंकर’ थी; अब कारागृह है हिमगिरि की दीवार, हाय गले का तौक बना गंगा-यमुना का हार; धन्य ! बंग खंभात अब्धि की लहरों की हथकड़ियां, रामेश्वर पर चढ़ी तरंगें बनी पैर की कड़ियाँ । कोमलतर बन्दीखाने के तीस कोटि बन्दी हैं …

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