माँ-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana

माँ-मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana हँसते हुए माँ बाप की गाली नहीं खाते बच्चे हैं तो क्यों शौक़ से मिट्टी नहीं खाते हो चाहे जिस इलाक़े की ज़बाँ बच्चे समझते हैं सगी है या कि सौतेली है माँ बच्चे समझते हैं हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह मुझे …

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