माँ-चैत्या-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta
माँ-चैत्या-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta मैं नहीं जानता क्योंकि नहीं देखा है कभी- पर, जो भी जहाँ भी लीपता होता है गोबर के घर-आँगन, जो भी जहाँ भी प्रतिदिन दुआरे बनाता होता है आटे-कुंकुम से अल्पना, जो भी जहाँ भी लोहे की कड़ाही में छौंकता होता है मैथी …