माँ के अनगिन रूप- त्रिलोक सिंह ठकुरेला

माँ के अनगिन रूप- त्रिलोक सिंह ठकुरेला   जग में परिलक्षित होते हैं माँ के अनगिन रूप। माँ जीवन की भोर सुहानी माँ जाड़े की धूप। लाड़-प्यार से माँ बच्चों की झोली भर देती, झाड़-फूंक करके सारी बाधाएँ हर लेती, पा सान्निध्य प्यास मिट जाती माँ वह सुख का कूप । माँ जीवन का मधुर गीत …

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