बटुआ-1-कविता-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
बटुआ-1-कविता-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi देख तेरा यह झमकता हुआ ऐ जां! बटुआ। सुबह ने फेंक दिया मेहर का रख़्शां बटुआ॥ चांदनी में तेरे बटुए के मुक़ाबिल होने। बनके निकला है फ़लक पर महेताबां बटुआ॥ गर चमन में तुझे बटुए की तलब हो तो वहीं। ज़र भरा गुन्चे का …