महादैत्य का दुःस्वप्न-इस गुब्बारे की छाया में -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun
महादैत्य का दुःस्वप्न-इस गुब्बारे की छाया में -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun अकस्मात— अजीब-सी रासायनिक दुर्गन्ध पूस की ठिठुरन वाली उस हवा में महसूस हुई भेड़िये की विष्टा से मिलती हुई दुर्गन्ध बनैले सूअर की गू से मिलती हुई दुर्गन्ध छेद कर नासा-रन्ध्र कर दिया उद्विग्न मन को, प्राणों को ‘‘क्या …