महाक्रीड़ा-कानन कुसुम-जयशंकर प्रसाद-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaishankar Prasad
महाक्रीड़ा-कानन कुसुम-जयशंकर प्रसाद-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaishankar Prasad सुन्दरी प्रााची विमल ऊषा से मुख धोने को है पूर्णिमा की रात्रि का शश्ाि अस्त अब होने को है तारका का निकर अपनी कान्ति सब खोने को है स्वर्ण-जल से अरूण भी आकाश-पट धोने को है गा रहे हैं ये विहंगम किसके आने …