महल-अटारी-आत्मा की आँखें -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

महल-अटारी-आत्मा की आँखें -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar चिड़िया जब डाल पर बैठती है, अपना सन्तुलन ठीक काने को दुम को जरा ऊपर उठाती है । उस समय वह कितनी खुश नजर आती है? मानों, उसे कोई खजाना मिल गया हो; जीवन भर का अरमान अचानक फूल बन कर …

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