ग़म-ब-दिल, शुक्र-ब-लब, मस्तो-ग़ज़लख़्वाँ चलिए-शामे-श्हरे-यारां -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz
ग़म-ब-दिल, शुक्र-ब-लब, मस्तो-ग़ज़लख़्वाँ चलिए-शामे-श्हरे-यारां -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz ग़म-ब-दिल, शुक्र-ब-लब, मस्तो-ग़ज़लख़्वाँ चलिए जब तलक साथ तेरे उम्रे-गुरेज़ां चलिए रहमते-हक से जो इस सम्त कभी राह निकले सू-ए-जन्नत भी बराहे-रहे-जानां चलिए नज़र मांगे जो गुलसितां से ख़ुदावन्दे-जहां सागरो-ख़ुम में लिये ख़ूने-बहारां चलिए जब सताने लगे बेरंगी-ए-दीवारे-जहां नक़्श करने कोई तस्वीरे-हसीनां …