मस्कन-ए-माह-ओ-साल छोड़ गया-गोया-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

मस्कन-ए-माह-ओ-साल छोड़ गया-गोया-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia मस्कन-ए-माह-ओ-साल छोड़ गया दिल को उस का ख़याल छोड़ गया ताज़ा-दम जिस्म-ओ-जाँ थे फ़ुर्क़त में वस्ल उस का निढाल छोड़ गया अहद-ए-माज़ी जो था अजब पुर-हाल एक वीरान हाल छोड़ गया झाला-बारी के मरहलों का सफ़र क़ाफ़िले पाएमाल छोड़ गया दिल …

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