मसनद-ए-ग़म पे जच रहा हूँ मैं-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

मसनद-ए-ग़म पे जच रहा हूँ मैं-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia मसनद-ए-ग़म पे जच रहा हूँ मैं अपना सीना खुरच रहा हूँ मैं ऐ सगान-ए-गुरसना-ए-अय्याम जूँ ग़िज़ा तुम को पच रहा हूँ मैं अन्दरून-ए-हिसार-ए-ख़ामोशी शोर की तरह मच रहा हूँ मैं वक़्त का ख़ून-ए-राएगाँ हूँ मगर ख़ुश्क लम्हों में …

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