मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi

मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi   उपसंहार-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi पद्मावती-नागमती-सती-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi रत्नसेन-देवपाल-युद्ध-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi राजा-रत्न-सेन-वैकुंठवास-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi …

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  उपसंहार-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi

उपसंहार-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi मैं एहि अरथ पंडितन्ह बूझा । कहा कि हम्ह किछु और न सूझा ॥ चौदह भुवन जो तर उपराहीं । ते सब मानुष के घट माहीं ॥ तन चितउर, मन राजा कीन्हा । हिय सिंघल, बुधि पदमिनि चीन्हा ॥ गुरू सुआ जेइ पंथ देखावा …

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पद्मावती-नागमती-सती-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi

पद्मावती-नागमती-सती-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi पदमावति पुनि पहिरि पटोरी । चली साथ पिउ के होइ जोरी ॥ सूरुज छपा, रैनि होइ गई । पूनो-ससि सो अमावस भई ॥ छोरे केस, मोति लर छूटीं । जानहुँ रैनि नखत सब टूटीं ॥ सेंदुर परा जो सीस अघारा । आगि लागि चह …

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रत्नसेन-देवपाल-युद्ध-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi

रत्नसेन-देवपाल-युद्ध-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi सुनि देवपाल राय कर चालू । राजहि कठिन परा हिय सालू ॥ दादुर कतहुँ कँवल कहँ पेखा । गादुर मुख न सूर कर देखा ॥ अपने रँग जस नाच मयूरू । तेहि सरि साध करै तमचूरू ॥ जों लगि आइ तुरुक गढ़ बाजा । …

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राजा-रत्न-सेन-वैकुंठवास-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi

राजा-रत्न-सेन-वैकुंठवास-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi तौ लही साँस पेट महँ अही । जौ लहि दसा जीउ कै रही ॥ काल आइ देखराई साँटी । उठी जिउ चला छोड़िं कै माटी ॥ काकर लोग, कुटुँब, घर बारू । काकर अरथ दरब संसारू ॥ ओही घरी सब भएउ परावा । आपन …

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बंधन-मोक्ष; पद्मावती-मिलन-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi

बंधन-मोक्ष; पद्मावती-मिलन-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi पदमावति मन रही जो झूरी। सुनत सरोवर-हिय गा पूरी ॥ अद्रा महि-हुलास जिमि होई । सुख सोहाग आदर भा सोई ॥ नलिन नीक दल कीन्ह अँकूरू । बिगसा कँवल उवा जब सूरू ॥ पुरइनि पूर सँवारे पाता । औ सिर आनि धरा बिधि …

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गोरा-बादल-युद्ध-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi

गोरा-बादल-युद्ध-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi मतैं बैठि बादल औ गोरा । सो मत कीज परै नहिं भोरा ॥ पुरुष न करहिं नारि-मति काँची । जस नौशाबा कीन्ह न बाँची ॥ परा हाथ इसकंदर बैरी । सो कित छोड़ि कै भई बँदेरी?॥ सुबुधि सो ससा सिंघ कहँ मारा । कुबुधि …

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गोरा-बादल-युद्ध-यात्रा-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi

गोरा-बादल-युद्ध-यात्रा-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi बादल केरि जसौवै माया । आइ गहेसि बादल कर पाया॥ बादल राय! मोर तुइ बारा । का जानसि कस होइ जुझारा॥ बादसाह पुहुमीपति राजा । सनमुख होइ न हमीरहि छाजा॥ छत्तिास लाख तुरय दर साजहिं । बीस सहस हस्ती रन गाजहिं॥ जबहीं आइ चढ़ै …

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पद्मावति-गोरा-बादल-संवाद-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi

पद्मावति-गोरा-बादल-संवाद-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi सखिन्ह बुझाई दगध अपारा । गइ गोरा बादल के बारा ॥ चरन-कँवल भुइँ जनम न धरे । जात तहाँ लगि छाला परे ॥ निसरि आए छत्री सुनि दोऊ । तस काँपे जस काँप न कोऊ ॥ केस छोरि चरनन्ह-रज झारा । कहाँ पावँ पदमावति …

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बादशाह-दूती-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi

बादशाह-दूती-खंड-पद्मावत -मलिक मुहम्मद जायसी-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Malik Muhammad Jayasi रानी धरमसार पुनि साजा । बंदि मोख जेहि पावहिं राजा ॥ जावत परदेसी चलि आवहिं । अन्नदान औ पानी पावहिं ॥ जोगि जती आवहिं जत कंथी । पूछै पियहि, जान कोइ पंथी ॥ दान जो देत बाहँ भइ ऊँची । जाइ साह पहँ बात …

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