मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी

मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी प्राणायाम-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , पतंगों से-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , पिता की विवशता-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , घास-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , झंकार-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , परम दु:ख-मलयालम कविता -अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी ज्ञानपीठ से सम्मानित साहित्यकार Gyananpith Awardees गुड मोर्निंग स्टेटस  Good morning quotes Hindi me

मलयालम कविता  हिन्दी में अनुवाद

मलयालम कविता  हिन्दी में अनुवाद प्राणायाम-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , पतंगों से-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , पिता की विवशता-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , घास-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , झंकार-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , परम दु:ख-मलयालम कविता -अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी ज्ञानपीठ से सम्मानित साहित्यकार Gyananpith Awardees गुड मोर्निंग स्टेटस  Good morning quotes Hindi me

प्राणायाम-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी ,

प्राणायाम-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , प्रिये! ऐसा लगता है कि है किन्तु है नहीं यह ब्रह्मांड, प्रिये! है नहीं, ऐसा लगने पर भी यह ब्रह्मांड तो है ही। आँसुओं से सानकर बनाए गये एक मिट्टी के लोंदे पर ज़ोरों से पनपता है हमारे पूर्व जन्म के सौहार्द का आवेश। प्रत्येक घड़ी, प्रत्येक पल, एक नवांकुर, …

Read more

पतंगों से-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी ,

पतंगों से-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , आग में कूदकर मरने के लिए या आग खाने की लालसा में आग की ओर समूह में दौड़े जा रहे हैं छोटे पतंगे? आग में कूद कर मर जाने ले लिए ही दुनिया में बुराइयाँ होती हैं क्या? पैदा होते ही भर गई निराशा कैसे? खाने के लिए ही …

Read more

पिता की विवशता-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी ,

पिता की विवशता-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , पीली, उभरी हुई, चूने जैसी आँखें घुमाते चाँदी के तारों-सी दाढ़ी मूंछे सँवारे फटे हुए वस्त्रों वाले एक बाबाजी प्रातः सूर्य की किरणों के पीछे-पीछे मेरे घर आ पहुंचे। अल्प संकोच के साथ उन्होंने एक मुस्कान फेंकी अक्षर-ज्ञान विहीन मेरे बेटे ने उनसे कुछ कहा। बेटे के हाथ …

Read more

घास-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी ,

घास-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , खिले पुष्पों से आच्छादित भूमि में अतीत में ही पैदा हुआ मैं घास बनकर उस वक़्त भी आवाज़ सुनी तुम्हारी बांसुरी की मधुर रोमांच से खुल गई आँखे आत्मा की आँखें खुलने पर आश्चर्य से शिथिल हो गया मैं उस रोमांच की लहर से ही तो मैं आकाश तक विस्तृत …

Read more

झंकार-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी ,

झंकार-मलयालम कविता-अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी , बाँबी की शुष्क मिट्टी के अन्तः अश्रुओं के सिंचन से पहली बार विकसे पुष्प! मानव वंश की सुषुम्ना के छोर पर आनन्द रूपी पुष्पित पुष्प! हजारों नुकीली पंखुड़ियों से युक्त हो दस हजार वर्षों से सुसज्जित पुष्प! आत्मा को सदा चिर युवा बनाने वाले विवेक का अमृत देने वाले पुष्प! …

Read more

परम दु:ख-मलयालम कविता -अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी

परम दु:ख-मलयालम कविता -अक्कित्तम अच्युतन नंबूदिरी कल आधी रात में बिखरी चाँदनी में स्वयं को भूल उसी में लीन हो गया मैं स्वतः ही फूट फूट कर रोया मैं नक्षत्र व्यूह अचानक ही लुप्त हो गया । निशीथ गायिनी चिड़िया तक ने कारण न पूछा हवा भी मेरे पसीने की बून्दें न सुखा पाई । …

Read more