जुल्फ़ के फन्दे-नारी श्रृंगार-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

जुल्फ़ के फन्दे-नारी श्रृंगार-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi चहरे पै स्याह नागिन छूटी है जो लहरा कर। किस पेच से आई है रुख़सार पै बल खाकर॥ जिस काकुलेमुश्कीं में फंसते हैं मलक आकर। उस जुल्फ़ के फन्दों ने रक्खा मुझे उलझाकर॥ दिल बन्द हुआ, यारो! देखो तो कहां जाकर॥1॥ …

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ज़ुल्फ़ के फन्दे-शायरी(कविता) नज़्में -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi 

ज़ुल्फ़ के फन्दे-शायरी(कविता) नज़्में -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi चहरे पै स्याह नागिन छूटी है जो लहरा कर। किस पेच से आई है रुख़सार पै बल खाकर॥ जिस काकुलेमुश्कीं में फंसते हैं मलक आकर। उस जुल्फ़ के फन्दों ने रक्खा मुझे उलझाकर॥ दिल बन्द हुआ, यारो! देखो तो कहां …

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