मर्सिया गोपाल कृष्ण गोखले-नज़्में -बृज नारायण चकबस्त-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Brij Narayan Chakbast
मर्सिया गोपाल कृष्ण गोखले-नज़्में -बृज नारायण चकबस्त-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Brij Narayan Chakbast लरज़ रहा था वतन जिस ख़याल के डर से वह आज ख़ून रुलाता है दीदा-ए-तर से सदा ये आती है फल फूल और पत्थर से ज़मीं पे ताज गिरा क़ौम-ए-हिन्द के सर से हबीब क़ौम का दुनिया से यूँ रवाना हुआ …