मरे-मरे से तुम जीते हो-(जीवन जीने की कला)-अजय शोभने – हिन्दी कविता | (Ajay Shobhane) | Hindi Poem | Hindi Kavita,
मरे-मरे से तुम जीते हो-(जीवन जीने की कला)-अजय शोभने – हिन्दी कविता | (Ajay Shobhane) | Hindi Poem | Hindi Kavita, मरे-मरे से तुम जीते हो, है अभी तो मौसम हरा-भरा ! जीवन जीना सीखो उनसे, जिनका जीवन संघर्ष भरा …… ग़ुलाम बने हो क्यों अभी भी, अब तो बंधन टूट चुके हैं, जातिवाद न …