मरियम-पुखराज-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar 

मरियम-पुखराज-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar रात में देखो झील का चेहरा किस कदर पाक, पुर्सुकुं, गमगीं कोई साया नहीं है पानी पर कोई सिलवट नहीं है आँखों में नीन्द आ जाये दर्द को जैसे जैसे मरियम उडाद बैठी हो जैसे चेहरा हटाके चेहरे का सिर्फ एहसास रख दिया हो वहाँ